आज चौबे जी की चौपाल लगी है राम भरोसे की मडई में, यह वही मडई हैं जिसमें बड़हन-बड़हन नेता दोउ कर जोड़के गोबिंदा जईसा दांत निपोरते हैं । बाबा रामदेव जईसादंडवत करते हैं । यहाँ तक कि सीला की जवानी दिखाके मुन्नी को बदनाम करने वाले उला...ला....ला करते हुए बाबा नारायण दत्त और अभिसेक्स मनु टाइप नेता भी आ जाते हैं कभी-कभार गारी सुनने के लिए चौपाल में । सबदिन –बारहों मास चलती रहती है इस मडई में बतकही की धार, कभी-कभार चुहुल भी होती है तो कभी-कभार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा भी । जहां तक आज की बात है तो चौबे जी आज कुछ सिरियस मूड में हैं। बीज घोटाला के बाबत अपनी चुटीली टिप्पणी से गुदगुदाते हुए कह रहे हैं कि “पिछला दिनों जे घपटा घटोला हुआ उसमें बहिनी के साथ-साथ हाथी जईसन जुआयेल मुनिस्टर लोग खुबई खा-खा के पिये,खुबई पी-पी के खाये,हाजत मा हजामत करवाए, मगर तनिकों नाही शरमाये। स्वास्थ्य घोटाला के बाद अब बारी है बीज के बंपर घोटाला की। ससुरे साठ करोड़ का घपला है । निराई-गोराई करे वाला किसान गरीब के गरीब रही गए और हचक के बीज खाये वाला नेता अमीर होई गए। खाये जाओ,खाये जाओ सत्ता के गुण गाये जाओ ।“ “आपको पता है चौबे जी, हमरे उत्तर प्रदेश मा दो प्रतिशत लोग पुश्तैनी अमीर हैं, छ्ह प्रतिशत ससुरा प्रदेश को लूट खसोट कर बनने वाले अमीर हैं और चार प्रतिशत सच में ही अपनी मेहनत से अमीर बनि जात है ..बांकी के अठासी प्रतिशत की पुछौ मत..सिर्फ़ आबादी है ससुरी..और आबादी अक्सर गरीब होत है….गरीब…।“ बोला राम भरोसे । “सही क़हत हौ राम भरोसे। एकदम्म सोलह आने सच। पेट मा अन्न नाही फिर भी हम्म अन्नदाता हईं। ई प्रदेश के भाग्य विधाता हईं। हमरे शोषण से पूरा होत है उनके पोलिटिकल कोर्स, काहे कि नेतवन खातिर हमनी के हईं मलाई मारे के परमानेंट सोर्स ।“ गुल्टेनवा बोला। इतना सुनकर रमजानी मियाँ झुंझलाया और अपनी लंबी दाढ़ी सहलाते हुए फरमाया कि “न रीति की नीति की.......बहुत कठिन है डगर राजनीति की । जब ससुरी राजनीति इतनी कठिन है तो सत्ता पाने का यह मतलब नहीं हुआ न कि हमेशा नंगी-भूखी जनता के बारे में ही सोचा जाये । अपने बारे में और अपने चमचों के बारे में भी तो सोचना पड़ता है । पईसा कहाँ से आयेगा, कइसे आयेगा ये भी तो मंथन करना पड़ता है मियां। तमाम तरह की योजनाएँ बनानी पड़ती है । बैलेंस बना के चलना पड़ता है । ताकि जेब भी गरम रहे और छवि भी साफ रहे । रही भ्रष्टाचार की बात तो हम्म यही कहेंगे बरखुरदार, कि भ्रष्टाचार वह अंचार है जो जन-हितैषी राजनेताओं को बहुत भाता है । इसीलिए हमारा नेता जब इसे खाता है तो हचक के खाता है, चटखारे ले-लेके खाता है । रमजानी मियां का शेर सुनकर उछल पडा गाजोधर। करतल ध्वनि करते हुए बोला "वाह-वाह रमजानी मियाँ वाह, का तुकबंदी मिलाये हो मियाँ ! समझ गए हम्म तोहरे कहे का मतलब । यानि कि राजनीति मा बुरापन कवनो मायने नाही रखत । आम आदमी के मैथेमैटिक्स बहुत कमजोर होला, यही के फायदा उठाके अरसेंट-परसेंट,टवेंटी फ़ैट परसेंट , ढिंशगा ढुम परसेंट के ख्वाब देखे लगले हमारे नेता लोग । अल्ला महरवान तो गदहा पहलवान वाली कहावत चरितार्थ है हमारे प्रदेश मा ।“ इतना सुनके तिरजुगिया की माई से ना रहल गईल, कहली कि -"वुद्धिभ्रष्ट हो गई है तुम सब की। कर्म के बदले नेतवन के भीतर अकर्मण्यता पैदा करे वाला विचारआदर्श कईसे होई सकत है। भ्रष्टाचार के भरोसे सब कुछ छोड़ के लंबी चादर तान के सोये वाला कबो सफल नाही हो सकत। हमनी के यूनाईटेड होके अकर्मण्यता के प्रति जंग छेड़े के पडी, तबे प्रदेश की किस्मत चमकी चौबे जी। का गलत कहत हईं ?" तिरजुगिया की माई की बतकही सुनके चौबे जी सीरियस हो गए और कहा कि "तोहरी बात मा दम है तिरजुगिया की माई। राजनीति के मैदान मा अईसन-अईसन बल्लेवाज़ पैदा हो गए हैं, कि पूछौ मत। खून में न तो संस्कार है और न शिष्टाचार से कवनो लेना-देना। कवनो कुकर्म करे से परहेज नाही होत अईसन नेतवन के । जनता की भावनाओं को भुनाके चुनाव जितिहें, हर क्षण हराम की दौलत कमाए के फिराक मा रहिहें। आम-आदमी के बलि भी चढ़ावे से कवनो गुरेज ना रखिहें। वैसे अखिलेश बबुआ के अईला से प्रदेश की तस्वीर कुछ बदलल-बदलल दिखाई देत है, हर बयान इकोनिमिक्स्टिक सा आवत है उनके। ई चौपाल के माध्यम से हमनी के इहे सुझाव हs कि बबुआ अखिलेश, हिफाजत से रखिहs उत्तर प्रदेश।" इतना कहके चौबे जी ने चौपाल अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया ।

2 comments:

  1. पिछले लगभग दो वर्षों से पढ़ता आ रहा हूँ चौबे जी का चौपाल, समसामयिक विषयों पर बहुत सुंदर कटाक्ष करते हैं आप ।

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