आज चौबे जी कुछ शायराना मूड में हैं। यू.पी. के घटनाक्रम पर अपनी चुटीली टिप्पणी से गुदगुदाते हुए चौबे जी ने कहा कि ” ना रस्में है ,ना कसमें है ,ना कोई रबायत है ….जारी हर जगह किसानन कs महापंचायत है,समय नाही कि कोई करे सवाल-जबाब,काहे कि हर कोई बहती गंगा में हाथ धोये खातिर बाटे बेताब, डी एम साहेब होई गए तेल,एस पी साहेब फेल, सुर्खियों में आजकल मुलायम कs अमर प्रेम,अगिला चुनाव खातिर शुरू हो गए हैं जबरदस्त राजनितिक गेम….न बारिश का, न बादलों का …आया मौसम तबादलों का ।”

बाह-बाह चौबे जी महाराज,एकदम्म सटीक बाटे ई मौसम कs आँखों देखा हाल। सचमुच हमरे यू.पी. मा आजकल ट्रांसफरन कs मौसम आईल बाटे। कहलें राम भरोसे ।

मगर ट्रांसफरन कs बात सुनि के उबियाइल गुलटेनवा के चुप ना रहल गईल, कहलें कि ये बाबा ! ई ट्रांसफरन के खबर सुनि के मन आजिज आ गइल बा। जइसही केहू से जान पहिचान भइल कि ओकर बदली हो जा ता। जब सब जगह खाए-पिए कs इंतज़ाम बा तs हमनियों के खाय दिहीं। ई कवन बात भईल नेता जी खायिहें हमनी के ना ?

देख हम तोके बताबत हईं तबादला यानी परिवर्तन कs राज। परिवर्तन प्रकृति कs एगो नियम हs जेकरा नाही बदलल जा सकत। आजकल ई एगो उद्योग मा परिवर्तित हो गईल बाटे । ई अइसन धंधा हो गइल बा कि दूनो लोग कमाये ला । माने जे ट्रांसफर करे वाला बा उहो कमाला आ जेकर ट्रांसफर भइल उहो कमाला।सब सरकारी आफिसन में कार्मिक यानी स्थापना विभाग होला, जेकरा में बइठल बाबू के लगे सब स्टाफन के बारे में पूरी जानकारी होला। ओकरा मालूम रहेला कि केकर लइका पढ़ऽता आ केकर मेहरारू नौकरी करऽतिया। बस ओकरा के टाइट करे खातिर ओकर ट्रांसफर आर्डर निकाल दिहले। अब ट्रांसफरित प्राणी के आर्डर देख के मूर्छा आ जाला,लागेला दउरे। आफिसे के केहू भेंटाला आ रुपिया तय होला। अब ऊ आ के रुपिया दीहें त आर्डर रद्द। हर आफिसन में ट्रांसफर के एगो सीजन होला। एही से जइसे चीनी सीजनल उद्योग होला ओसहीं ट्रांसफर सिजनल उद्योग ह ……. कहलें गजोधर ।

इतना सुनि के तिरजुगिया की माई चिल्लाई ” अरे सत्यानाश हो तेरा ट्रांसफर कs सीजनल उद्योग कहत हौअs लोगन। अरे ई उद्योग ना पुरातन काल से चल रहल बाटे एगो प्रचलित नियम हs जेकरा मुताबिक़ जे अफसर के सजाय देबे के बा ओकरा कहीं कुजगहा ट्रांसफर क द । वइसे आदमी जनम से ट्रांसफर प्राणी ह। अस्पताल से घरे ट्रांसफर, घरे से स्कूले ट्रांसफर, उहाँ से कालेज आ तब नोकरी चाकरी। मुगल काल में तs ट्रांसफर एगो षडयंत्र के रूप रहे, जे सिपहसालार के टाइट करे के होखो तs ओकरा चार गो सिपाही दे के कवनो राजा से लड़े खातिर डेपुटेशन पर भेज दियात रहे। उहाँ से ऊ घायल हो के आवे तब सब बात खतम आ मर मुरा गइल तs स्वर्ग में ट्रांसफर।अंगरेजन के राज आइल तs ई कला षडयंत्र का बदले सजाय हो गइल। लोकतंत्र में ट्रांसफर कs सम्मान जनक दृष्टि से देखल जाला जइसे अंडा से बच्चा निकलेला ओसही मंत्री के नोटशीट जेह में ट्रांसफर के आदेश होला ओह में से रुपिया निकलेला. . का गलत कहत हईं राम अंजोर ।

नाही चाची तू कबो गलत ना कह सकत हौ । जे अधिकारी समय-सीमा के भीतर आपन टार्गेट ना पूरा करिहें, जनता के साथ धोखा करिहें उनका के ट्रांसफर ना कएल जाई त काs पूजा कएल जाई ? भैया हम तो कहेंगे कि ई ज़माना गठजोड़ का है, जब दुई बिपरीत विचारधारा की पार्टी आपस मा गठजोड़ कर सकत हैं त निचले स्तर पर अफसरन की ट्रांसफर-पोस्टिंग और निर्माण-सप्लाई कs ठेका खातिर गठजोड़ नाही हो सकत ? विल्कुल हो सकत हैं नेताओं और नौकरशाहों का गठजोड़ अपने मिशन में जब सफल हो जात हैं तो समझो ऊ राज्य मा राम राज आई जात हैं . जैसे आजकल मध्यप्रदेश मा सरकार में टॉप टू बॉटम के ज्यादातर अहम पदों पर मप्र के अफसर जमे हुए हैं। प्रशासनिक जमावट के लिहाज से सरकार में सबसे ताकतवर माने जाने वाला मुख्यमंत्री सचिवालय पूरी तरह रामनामी वाला रंग में रंगा हुआ है। यानी रामराज आया हुआ है मध्य प्रदेश मा …कम से कम हमार यू पी यह मामला मा ठीक है, इहे बात कs संतोष हs …..कहलें राम अंजोर ।


हमरे समझ से राजनीति मा तबादला हाई प्रोफाईल खेल कs नाम ह।ट्रांसफर, पोस्टिंग, प्रमोशन, सेवावृद्धि, प्लॉट आबंटन, भान्जों-भतीजों की नौकरी, एजेंसी आबंटन जईसन केतना फ़ायदा ई खेल मा जीते बाला कs मिलेला। जे ई खेल कs माहिर होला ऊ कैप्टन,एम्पायर और कमंटेटर तीनों एक साथ होला । जबतक ऊ जीतत रहेला तीनों कुर्सी सलामत, नाही तs जलालत कs साथ-साथ हजामत हो जाला हारे वाला के । सिनेमा या रंगमंच में हैं तो निर्माता निर्देशक के साथ गठजोड़ रखीं आऊर राजनीति में हैं तs ई काम पहिला दिन से ही शुरू कs देवे के चाहीं। राजनीति में खाली चिकनी-चुपड़ी बात कएला से काम नाही चलेला मंगरुआ- आकाओं के साथ गठजोड़ जैसी क्रियाओं में भी पारंगत होना जरूरी है। का समझे ? बोला बटेसर ।

समझ गया चाचा, अच्छी तरह समझ गया…ट्रांसफर से बचना है तो नेता-नेता कहना है, नाही त सुबह-शाम बिलावजह याद आवेगी नानी…जब बार-बार सपने में आयेगा काला पानी….बोला मंगरुआ।

इतना सुनके चौबे जी रोमांचित हो उठे और कहे कि चलो मिलकर गाते हैं ….न बारिश का, न बादलों का …आया मौसम तबादलों का । इतना कहकर चौबे जी ने चौपाल अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया।

रवीन्द्र प्रभात

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