आज चौपाल मा चुहुल खुबै है, रामभरोसे का बेटा जबसे लौटा है मुम्बई से,ओकरे मुंह से बम विष्फोट कs चर्चा सुनि के रामभरोसे एकदम से सेंटिमेंटल हो गईले आ मुड़ि पीटत सनकाह अस चौबे जी के चौपाल आ गइले. चौबे जी से कहलें कि – मुंबई में हुए आतंकी हमला के बाद राजनीति गरमा गई है महाराज ।कॉंग्रेसी बबुआ राहुल कs बयान पर शिवसेना वाले बाबा जी कह रहें हैं कि बबुआ को ममहर भेज दिया जाए, बहुते अनाप शनाप बकने लगा है अब ।बबुआ के सम्हारे देखभाल के जिम्मेदारी जवन दिग्गी राजा के दिहल गइल बा ओह डिक्की के कहना बा कि गनीमत है कि हम सब हिन्दुस्तान में हैं ना त पाकिस्तान में त रोजे या हफ्ता में दुई-चार दिन अइसन हमला होत रहेला. पुरनका गृह रा्ज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के बयान आइल हs कि इस सरकार की उपलब्धि मानिए कि अतना दिन बाद कवनो आतंकी हमला हुआ है हमरे देश में ।अब आगे ई बयानवाजी कs कवन स्वरूप होई ई तs भगवान जाने। एतना कहि के राम भरोसे मुँह में सुर्ती दबा लिहले ।


बात ई हs राम भरोसे कि मुँह चुप्पा प्रधानमंत्री मुँह तs खोल दिहले बाड़न आ कहले बाड़न कि दोषियन के जल्दिये गिरफ्तार कर लिहल जाई. शायद ओही तरह जवना तरह ऊ कई साल से महँगाई पर काबु पावे के बात करत आइल बाड़न । ऊ बहुत बड़हन अर्थशास्त्री हऊहन, उनका से एकबार एगो पत्रकार पूछलें, कि ई बताईये दुई और दुई केतना होला तs ऊ कहलें दो और दो होता तो है चार हीं, मगर एकबार मैडम से भी पूछ लेते हैं, आखिर पूछने में क्या हर्ज है ? पत्रकार फेर पूछलें कि ई बताईये मनमोहन जी अन्ना के अनशन से अन्न निकाल के आप सबको सन्न कर दिए और बाबा को लंगोट की जगह सलबार पहना दिए , इसको आप अपने सरकार की उपलब्धि कहेंगे या गुस्ताखी ? इतना सुनि के मुस्की मार के हंसलें आऊर कहलें कि मैडम इसको भारत निर्माण कहती हैं …अब जो मैडम कहती हैं वही हम कहेंगे नs ? ……चौबे जी बोले ।


भारत निर्माण की बात सुनि के गुलटेनवा के हंसी ना रुकल, ठहाका मारी के हंसले आऊर कहलें कि ये चौबे बाबा, ई कवन भारत निर्माण कs बात कर रहल बाड़े हमरे मनमोहन सिंह ? जहां सौ में निन्यानवे बेईमान उहाँ ई कईसन भारत निर्माण ? अब अपना गाँव में अइसहीं जीवन सत्याग्रही भइल जाता. बिजली रहत नइखे। गैस मिलत नइखे. जरावन खतम हो गइल बा। माल-गोरू हइये नइखन सँ कि गोईंठा होखो. महँगाई अतना बढ़ गइल बा कि साबुन तेल कीने में पसीना छूटि जात बा । मंहगाई कs राज हो गईल,सच्चाई कs खुजली-खाज हो गईल, केतने घर मा अब फाका कट रहल बाटे, राशन खाली कागजे पर बँट रहल बाटे, दल-रोटी पर भी आफत-बिपत्त, कुर्सी पर बैठ गईल बाटे एक से एक चिक्कट …सूना हो गईल बा खेत खरिहान ,सगरो रो रहल बा मजदूर-किसान ….का यही कs नाम हs भारत निर्माण ? बोला गुलटेनवा ।


इतना सुनि के तिरजुगिया की माई पगला गईली आ सनकाह अस चिल्ला के कहली कि जब दुनिया सोवत हए तs हमनी के जागत हईं जा। जब हर तरफ खुशियाँ होत है तs हमनी के रोवत हईं जा।हमनी के अन्नदाता हईं फिर भी भूख से बेहाल रहत हईं जा। १२ महीना ऊपर वाला भी हमनी परीक्षा लेत रहत हएं। कभी हमनी के पानी से मारत हईं जा तs कभी बिना पानी के। तनिको भईल मौसम नाराज हमरी मेहनत मटियामेट होई जात है।आखिर हम किसानन खातिर का बा भारत निर्माण के मायने ? बोली तिरजुगिया की माई।


चौपाल का माहौल गंभीर देखिके अपनी लंबी दाढ़ी सहलाया और रमजानी मियाँ फरमाया कि इसी विषय पर दुष्यंत साहब का एक शेर अर्ज है कि हालते जिस्म, सूरते जां और भी खराब।चारो तरफ खराब, यहाँ और भी खराब ।।


का बात है मियाँ, गज़ब शेर पटके हो ,बिल्कुल मौजू । वैसे जहां तक हमार सोच बा ओकरा मुताबिक़ सरकार के जेनरल नॉलेज मीडिया तक जाके ख़त्म हो जाला। उनकर पहचान मूंछ की ऐंठन में समा जाला और उनकर सेंटिमेंट अपने और अपनों में खो जाला। यदि हमरे देश कs नेता लोग ठीक होते तो देश कs हालात बदतर से बदतर नाही होत रमजानी मियाँ ! जब बाजेला चुनावी बाजा, हर केहु कहेला आजा मेरी गाडी में आजा, वे भी जेकरा गाडी मा टायर ना होला, चाहे गाडी पंचर होला या फिर जेकर गाडी हौले-हौले चलेली या फिर जेकर सरपट दौड़ेली।सत्ता पावे के गरज में गिरगिटान नियन रंग बदले में देरी ना होत। लोगन के उलुल-जुलूल कमेन्टवो के पचाई लेत हएं । पैसा-वैसा लुटावे खातिर अभाव में हवाला के जरीय मंगाई लेत हैं । इलेक्सन के चक्कर मा दुबराईयो जात हैं, लेकिन चुनाव जीतला कs बाद सारा कसर निकाल लेत हैं एक झटके मा,ई सोच के कि पता नाही फिर राजभोग कs गुलगुला मिलिहें कि ना ? कहलें गजोधर ।


एकदम्म ठीक कहत हौ गजोधर, हम तोहरी बात कs समर्थन करत हईं । अब हमनी के एगो संकल्प लेबे के पडी कि जईसे चुनाव जीतला कs बाद सरकार निरंकुश हो जाला,वैसहीं निरंकुश हो जायब सs हमनी के भी चुनाव के बखत, ईंट कs जबाब पत्थर से देबे खातिर । सबकी सहमति के साथ इतना कहके चौबे जी ने चौपाल अगले शनिवार तक के लिए स्थगित कर दिया ।

रवीन्द्र प्रभात

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