भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी बात आगे बढाते हुए चौबे जी बोले, कि देख बचवा , आज के जमाने में हमरे हिसाब से ईमानदार उहे है जे या त पकडल ना गईल या फिर ससुरा के मौक़ा नाही मिलल । जनसेवक खातिर शिखर तक की यात्रा तभी संभव है जब वह भ्रष्टाचार रुपी भगवान् का आचमन करे । भ्रष्टाचार की महिमा अपरंपार है बचवा । यह उर्जा का समागम है । यह बाबा रामदेव वाले योग से ज्यादा तीक्ष्ण है बचवा, जे मनई के ऊँचाई की ओर ले जात है । यह प्रवाह है, युग्म है, गति है, लय है, सुर है, सुगंध है …इसके बिना जीवन निर्मूल है, दुखदायी है निर्बंध है । सारे पुरुषार्थों का आधार है भ्रष्टाचार, इसी से चुनाव रुपी यज्ञ हेतु समिधा, पुरोडास,सुमनांजलि और दक्षिणा की व्यवस्था की जाती है । इसके बिना न तो संसद रुपी देव और ना ही बिधानसभा रुपी देवी मईया का दर्शन संभव है , का समझे राम भरोसे ?अरे नाही महाराज, हमरे समझ से भ्रष्टाचार छूत की बीमारी है । ई बीमारी मा पहिले आनंद ही आनंद है, सुख ही सुख है मगर ठीक होने के बाद तकलीफ देह हो जात है महाराज । हम्म तो यही कहेंगे कि जिसको भी लग जाए ई बीमारी कबहूँ ठीक ना हो । राम-राम जप के पराया माल अन्दर करत जिनिगिया गुजर जाए त ठीक , नाही त …..होयिहें वही जो राम रची राखा ,बोला राम भरोसे ।
तभी चौपाल में टपक पडी तिरजुगिया की माई,कहने लगी कि सत्यानाश हो तुम सबका, तुम्हरी सरकार हाथ-मुंह धोके पडी है हमरे रामदेव बाबा और अन्ना के पीछे,ई बताओ चौबे जी कि ई देश मा भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठावे के भी अधिकार नाही रहा अब जनता के पास का ?
काहे नाही रहा ? मगर बात ई है तिरजुगिया की माई, कि जब देश आज़ाद हुआ था तब की बात कुछ और थी और अब की बात कुछ और है । जवन देश मा कभी दूध की नदी बहत रहे, अब वहां भ्रष्टाचार का नाला बहत है । जवन देश कभी ईमानदारी के पर्याय मानल जात रहे ऊ देश अब घूसखोरी में टॉप फाईव में है । जनता की औकात के बारे में का कहीं ऊ त बलि के बकरे से कम नाही, जब चाहो जबह कर दो । केंकियाके चुप हो जायेंगे और का करेंगे ? अब बाबा रामदेव को ही लो, का हुआ …. चले थे अनशन को ओटन लगे कांग्रेस । कांग्रेस को न हिंग लगी ना फिटकिरी अपने आप हो गया रंग चोखा …..उधर अन्ना चिचियाते रहे कि देश की जनता के साथ हो रहा है बहुत बड़ा धोखा । अरे भैया कैसा धोखा, कभी किताब से पाला नाही पडा का ? इतना भी नही जानते कि राज चलता है हनक से और हनक पैदा होती है डंडे से । का गलत कहत हईं ?
एकदम्म ठीक कहत हौ चौबे जी कि अनशन-वनशन करे से कवनो फ़ायदा नाही, जनता के पास अब पहिले वाली हनक नाही रही कि प्यार के अंडे से चूजे बाहर निकल जाए। सरकार डाइरेक्ट भ्रष्टाचार रुपी मुर्गे-मुर्गी पैदा करने लगी है । भ्रष्टाचार चीज ही ऐसी है। एक बार संक्रमण लग जाए, तो कोई इलाज कारगर नहीं होता। ये में कवनो दो राय नाही तिरजुगिया की माई, कि भ्रष्टाचार और मंहगाई से हो रही है हमरी जगहंसाई । हालात बहुत खराब हो गयी है, काहे कि कंठ तक खा-खा के पैसा सरकार सो गयी है । उसे तो अब मंहगाई के नाम पर भी उबकाई नही आती । जब देश आज़ाद हुआ था तब सोलह सौ करोड़ का साहूकार था, आज अठ्ठारह लाख करोड़ का कर्ज़दार है । तब कोई पढ़ा-लिखा खाली नही था आज बारह करोड़ बेरोजगार है । तब पढ़ने वाले नही मिलते थे अब स्कूलों में एडमिशन नही मिलते । तब देश में दो लाख से ज्यादा औद्योगिक इकाईयां चल रही थी, अब वे या तो दफ़न हैं या बीमारी में सिसक रही है । तब कोई भूख से नही मरता था अब रोजाना ऐसी खबरे सुनने को मिलती है । स्विस बैंक के डायरेक्टर साहेब के स्टेटमेंट देखी हो का कहै हैं ?
का कहै हैं डायरेक्टर साहेब ?
कहैं हैं कि स्विस बैंक मा भारत का दुई सौ अस्सी लाख करोड़ रुपिया जमा है , जवना से ३० साल का बज़ट बिना टेक्स के बन सकत है और तो और साठ करोड़ बेरोजगार के रोजगार मील सकत हैं ।
अरे बाप रे इतना पईसा हमरे देश का विदेश मा ? गजोधर चकराया ।
आऊर नाही त का, कौम कंगाल जनसेवक मालामाल है हमरे देश मा गजोधर, बोला रमजानी ।
देख हमके राजनीति से कोई मतलब नाही आऊर ना ही नेतवन के घोषित-अघोषित दौलत से कुछ लेना-देना । हम्म इहो नाही मानत हईं कि सब नेता खराब है ,मगर सालों से उनके लूटने का क्रम चल रहा है । कोई देखने वाला नाही-कोई सुनने वाला नाही -कोई कुछ करने वाला नाही । खुद खायेंगे भ्रष्टाचार का महँगा पेंडा और हमरे हिस्से छोड़ देंगे खोखले वादे और कागजी योजनाएँ ताकि जिंदगी भर हम सब उसी में उलझे रहें आऊर नेतवन के प्रलोभन रुपी अंचार के चटकारे ले ले के खात रहें । इसी के साथ चौबे जी ने अगले शनिवार तक के लिए चौपाल को स्थगित कर दिया ।
रवीन्द्र प्रभात