चौपाल में आज चौबे जी  बहुत चिंतित है ,कह रहे हैं कि " तीन पुस्त से सरकार चलावे वाली सोनिया चाची की सरकार अब सरकार नाही रही मंहगाई और भ्रष्टाचार ढोए वाली कार होई गयी  उधर राहुल बाबा के दांत निपोरल भी बेकार होई गयी। मनमोहन की खो गयी मनमोहनी मुस्कान और तो और यू.पी. चुनाव के बाद बडबोले दिग्गी के भी सुख गए प्राण । प्रणब दा के मचरै मचर करै जुतवा के तल्ला घिसरा गए मगर बजट से मंहगाई रुपी डायन के नाही बिसरा पाए। रेल बज़ट के नाम पर हिटलर दीदी त्रिवेदी के सिंहासन पर बैठाईयो देलीदो तिहाई हिस्सा बंगाल खातिर मंगाईयो लेली । जनता के भरोसा दिलाबे खातिर दुबरायियो गईली और बज़ट उलटा देख घबरायियो गईली। नेता चाहे नाक वाला हो चाहे नककटवासबका चरित्र हो गया है हमरे देश मा तबायफ के गज़रा जईसारात को पहनो सुबह को उतार दो...सब ससुरा समझ लिया है ई देश को राम जी की चिरईराम जी का खेत ....खालो चिरई भर-भर पेट ।"

"आपकी  बात मा दम है महाराजकाहे के स्व से ऊँचा चरित्रराजनीति मा मित्र...आऊर जुआरी के अड्डा पर कभी माहौल पवित्र नाही हो सकत  ममता होजया होचाहे मायासबकी अपनी-अपनी प्रॉब्लम है भाया। बज़ट के नाम पर जनता खातिर सरकार जे लुभावना जूता इस्तेमाल करत हैं ओकरे तल्ला के ऊपर सब टाँके-टांका रहत हैं और भीतर से समूचा तंत्र ससुरा हिलत नज़र आवत हैं।बोला राम भरोसे 

"ना कोई वादीना प्रतिवादी बज़ट के नाम पर हमरे देश मा खेलल जात है खुल्ला खेल फरुखावादी। दुखों के पहाड़ से दबल निरीह जनता के दिखावल जात है ससुर सब्जबागभाई जनता तो भावुक होत हैन सोचत  है, न समझत हैनेतवन के पहुंचा देत  है कभी झार पे तो कभी सातवें आसमान पे काहे कि निरमोहिया होत हैं सब घोटालेवाज़ नेता उनके नस्ल भी  दुसरे तरह के होत है न ऊ आदमी होत हैन कुत्तान बन्दर ... होत हैं तो बस मस्त कलंदर   नेता लोग जेतना जमीन के  बाहर होत  हैराम भरोसे भईया, ओतना ही जमीन के अन्दर भी होत है बयान बदलना उनके जन्म सिद्ध अधिकार होत है, काहे कि  उनके लिए चरित्र से ऊँचा होत  है पईसा मज़ा आवत  है खूबे उनकै आपन बदलल बयान पर और फक्र भी खूब होत हैं ससुरे खोखले स्वाभिमान पर  जरूरत पड़े  पर कभी धरती पकड़ तो कभी कुर्सी पकड़ बनी जात  है अऊर कभी-कभी ऊ  अपनी हीं बातों में जकड जात है अऊर तो अऊर  जब ऊ बहुत टेंशन में होत है तों रबड़ी में चारा मिलावत  हैखात  है  अऊर अकड़ जात  है ईहे ह राम भरोसे भईया नेता लोगन की सच्चाई और बज़ट की सच्चाई है आमदनी अठन्नी खर्चा रुपईया और जब असंतुलित होने लगे बज़ट तो टेक्स बढ़ा दो भईया।" बोला गुलटेनवा

एकदम्म हंडरेड परसेंट सच्चाई है गुलटेनवा तोहरी बतकही मा  भाईमानो या न मानो मगर ईहे सच हैकि-नेता बनना आसान नाही  है अपने हिंदुस्तान माकाहे कि  उनके एक पैर जमीन पर राखै के पडत  हैतो दोसर आसमान में उनके भीतर कला होत हैकि- ऊ जब चाहे तब  मास्टर के  मिनिस्टर बाना दे और कुत्ता के कलक्टर बाना दे कबो  स्वाभिमान  के नाम पर,तो कभी राम के नाम पर भीख मांग सकेअऊर जरूरत पडे पे  हाई स्कूल फेल के भी  वैरिस्टर बाना दे। हमरे समझ से नेता बनना हर प्रकार की प्रतियोगिता से कठिन है....ये हम्म नहीं कह रहे हैं गुलटेन अपने गाँव के नेता यानी खुरपेंचिया जी कहिन है !" गजोधर ने कहा 

बाप रे ईतनी कला होती है हमरे देश के नेताओं में गजोधर की बातों से अवाक रमजानी मियां ने अपनी दाढ़ी सहलाते हुए पूछा !

यह सब सुनके तिरजुगिया की माई से नहीं रहा गयातौआते हुए बोली कि " चौबे जीई देश की जनता वेबकूफ नाही है । हमनी के उपदेश सुनत हई जरूर टन भर । आपके चौपाल मा उपदेश देत हईं जरूर मन भर लेकिन जब ग्रहण करे के बारी आवत हैं तो ग्रहण करत हई केवल कण भर । ईहे कण भर  ग्रहण  करे के नतीजा है यू. पी. मा हाथी के रौंद गयी साईकिल । कुछ बुझाईल कि नाs ?"

बुझाईल हंड्रेड परसेंट बुझाईल तिरजुगिया की माई,मगर चौपाल में नेता चालीसा सुनावे खातिर नाही बईठे हैं हम्महमरे पास अऊर भी कुछ टेंशन है जिसपर हम्म चर्चा करेंगे अगले चौपाल मेंतबतक चलो मिलके हम सब एगो प्रस्ताव पारित करते हैं कि ....... जे  जनता के बारे में सोची  अब उहे सरकार  राज करी अपने देश मा  

सबने इस प्रस्ताव का सर्वसम्मति से समर्थन किया और चौबे महाराज  की जय-जयकार के साथ चौपाल अगले शनिवार तक के लिए स्थगित हो गयी !
 ()रवीन्द्र प्रभात  

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