चौबे जी आज बहुत गुस्से में है, कह रहे हैं कि " हमरे देश की आज़ादी के बखत चर्चिल ने सही कहा था राम भरोसे, कि भारत में सत्ता भ्रष्टाचारियों,दुष्टों,बदमाशों और मुफ्तखोरों के हांथों में चली जायेगी। हवा को छोड़कर हर चीज पर टैक्स होगा । एक टूकडा रोटी और एक बूँद पानी तक के लिए वे जनता को चूसेंगे । भारतीय नेता कम क्षमता वाले लोग होंगे । आपस में लड़ेंगे,जनता को लड़ाएँगे और एक दिन भारत राजनितिक झगड़ों में उलझ कर रह जाएगा । बताओ राम भरोसे हम सबको केतना सही पहचाना था उस अंग्रेज ने.....।"

"सही कहत हौ, ई देश अब सचमुच भ्रष्टन के देश होई गाबा है महाराज। हर केहू राजभोग खातिर लागल बा । केहू रियल गुड फिल खातिर नाही । विपक्ष कमजोर,सत्ता निरंकुश ..आपन-आपन पीठ थपथपा के हर केहू बाटे खुश । जनता विरोध करे त s s नाक सुनकने लगते हैं, खिसिया के खंभा नोचने लगते हैं अऊर कहते हैं कि हम नहीं झुकेंगे जनता के आगे । चाहे अन्ना टेढ़ीयाये चाहे बाबा रेरियाये अऊर चाहे विपक्ष गरियाए इनके दांत निपोरल कम ना होई । आखिर चौंसठ साल में जे ना सुधरलें ऊ एक सप्ताह के अनशन में कईसे सुधरिहें महाराज ? " बोला राम भरोसे ।

हिस्ट्रीशीट खुल चुकल बा । छटपिटाके छूछमाछर कबतक बनल रही ई दिल्ली की सल्तनत । जवन दिन जनता जनार्दन फाइनल रिपोर्ट लगा देगी न s ओखली में ज्ञानबोझिल सिर डालने के सिबाय कुछ नाही बचेगा । फिर तो हर तरफ रघुपति राघव राजा राम ...वाला धुन ही सुनाई देगा अऊर कुछो नाही । वालीवुड के हुस्नपरी के जईसन ग्लैमर में बने रहने का सपना धरा का धरा रह जाएगा बरखुरदार,अऊर आस टूटते जनता-जनार्दन के पास आके यही गाते मिलेंगे सब - "आजा आजा आजा,आके गरबा लगा जा ......।" पर अफसोस कोई नहीं मिलेगा गरबा लगाने वाला । अपनी दाढ़ी सहलाते हुए बोला रमजानी ।

बहुते दु:ख क बात हौ रमजानी भईया, कि जवन देश मा लोकतंत्र जन्मी,उहै देश मा अब नेता अऊर ब्यूरोक्रेट्स मिलके जबरदस्ती लोकतंत्र के साथ अटखेल करत हैं । ईमानदारी की हद ज्यादातर के लिए हो गयी है दारूबाज और हेरोईनबाज की कसम । सुबह में खाओ, शाम मा भूल जाओ । हर केहू ई ससुरी सिस्टम के चीरहरण पर उतारू है, जईसे सिस्टम सिस्टम नाही रहा तबायफ का कोठा होई गबा है । कुछ कहो तो पलट के जबाब देते हैं अऊर कहते हैं कि आवादी टिड्डी दल की तरह बढ़ रही है कहाँ से करे सबकी रोटी की व्यवस्था ? बोला गुलटेनवा ।

ये मा कवनो संदेह नाही गुलटेन कि जवन देश मा पाहिले दूध की नदी बहत रहे उहे देश मा अब भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहत है,बिना पईसा के सरकारी दफ्तर मा फाईल नाही खिसकत । नो मनी-नो वर्क के फार्मूले पर टंगा गईल बाटे ई हमार सिस्टम । चोर-चोर आपस में राजदार हो गए, गरीब और गरीब, मालदार और मालदार हो गए। फिर भी मंत्री से लेके संत्री तक सब कहत हैं कि हमरे देश मा जनता क राज है । अरे सत्यानाश हो तेरा ......जब तक सत्ता की गलियारों में विद्यमान है ससुरी भ्रष्टाचार रूपी खुजली और खाज, काहे का जनता का राज ? बोला गजोधर ।

गजोधर की बात मा दम है भाई,ई देश अब सचमुच भ्रस्टन के देश होई गबा है । अन्ना जी कहत हैं कि केंद्र की सरकार धोखेवाज़ है, पाहिले धोखा दिया हमको, फिर रामदेव को । उसे नाही भूलना चाहिए कि सरकार हमरी सेवक है, मालिक नाही । मालिक सो गया है और सेवक उसकी मजबूरी का फ़ायदा उठाके मेवा खा रहा है । आखिर केंद्र की सरकार ऐसा बदनुमा चरित्र ले जनता को क्या सन्देश देना चाहती है ? अगले दिन चौपाल मा हम इसी विषय पर और लोगन के राय जाने के प्रयास करब, ताकि ई राजनैतिक प्रदूषण से मुक्ति मिल सके हमरे देश की जनता को ।

इतना कहकर चौबे जी ने अगले शनिवार तक के लिए चौपाल स्थगित कर दिया ।

रवीन्द्र प्रभात



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