आज चौबे जी कपिल सिब्बल के बडबोलेपन से बहुत गुस्से में है, कह रहे हैं कि भारतीय लोकतंत्र की यह सबसे बड़ी बिडंबना है राम भरोसे कि उसका शिक्षा मंत्री ही यह वयान दे रहा है कि देश में कोई भी शिक्षण संस्थान विश्वस्तरीय नहीं है । का करोगे इस वयान के पीछे हमरी ही कमजोरी उजागर हो रही है ।ई देश की ससुरी शिक्षा प्रणाली ने हमारी मस्तिस्क को इतना संकुचित,स्वार्थी,एकाकी और अनुदार बना दिया है कि हम शिक्षा के मूल उद्देश्य को ही भूल गए अऊर मौक़ा मिल गया नेतवन को हमरी भावना पर हथौड़ा चलाने का ।
सही कहत हौ महाराज, एक ज़माना रहा जब मास्टरन के तनख्वाह काम चलाबे भर का मिळत रही । कौनिउ तिना गुजर-बसर होत रहा । जिऊ कुहुकती रही- करइ मास्टरी दुई जन खायँ,लरिका होयें नानियऊरे जायँ ।कहे के मतलब कि अतना पईसा मिळत रहा कि बस मियाँ-बीबी कौनियौ तिना पेट जियाबत रहे लरिकन का नानियौरे पठाई देत रहे । मगर आज देख ss मास्टरन के काया पलट हो गए आल्टो,इंडिका से पढाबे जात हएं, फटफटिया के कउन बिसात । सबकुछ चकाचक होई गबा मगर नाही बदली ससुरी ई देश की शिक्षा प्रणाली । सबकुछ उहे ढ़ाक के तीन पात है महाराज । गुरु अब गुड़ नाही चीनी खात हैं अऊर चेला चीनी से गुड़ होई जात है । बाह रे देश की प्रगति ....बोला राम भरोसे ।
ये मा हमरे समझ से व्यवस्था के दोष है राम भरोसे भईया । यह अलग बात है कि तनख्वाह बहुते बढ़ गए मास्टरन के मुला सरकारी काम के बोझा उनके ऊपर लदा परा है । जतनी योजना अऊर सरकारी काम आवत हैं जब केहू के बस नाही चालत त ss मास्टरन के सौंपी देत हैं.......गुलटेनवा ने काफी गंभीर होकर बोला ।
इतना सुनते पान के पिक पिच्च से फेंककर कथ्थई दांत निपोरते हुए पूछा रमजानी कि हम्म कुछ समझे नाही बरखुरदार, ई कवन योजना की बात करत हौ ?
हम्म समझाते हैं आपको रमजानी मियाँ कि बात ई है कि मास्टर साहेब भले पढाबे मा हप्तन इस्कूल से गायब रहैं , पढाबे लिखाबे से बैर रहैं,अपने बदले दोसर बेरोजगार रख देयं,इस्कूल मा पूरा दिन अखबारी पढ़ के बिता देयें मगर अन्य योजना में मन लगाके काम करिहें खूब, काहे कि डबल पईसा भी बन जाए अऊर पढाबे से मुक्ति भी मील जाए । ऊ भी एक-दुई योजना हो तब न बताएं , बहुत योजना में भागीदार हैं मास्टर लोग, जईसे जनगणना, मकान गणना,पंचायत चुनाव,विधान सभा चुनाव,लोकसभा चुनाव,बालगणना, पल्स पोलियो अभियान, स्वास्थय जागरूकता अभियान, मतदाता सूची पुनरीक्षण, आर्थिक गणना, स्कूल चलो अभियान, साल भर मा तमाम ट्रेनिंग, हर हफ्ता मीटिंग,रोजई मिड डे मील,सतत व्यापक मूल्यांकन, इस्कूल कै भवन निर्माण,बाहर दिवारी किचन शेड, सौचालय,रंगाई-पोताई,ऊपर ते साल भर मा पूरे डेढ़ महीना बोर्ड परीक्षा के डयूटी । जे समय बची जाए ऊ मा परधान जी के पटियाये रहो । परधान जी खुश त s विधायक जी खुश,विधायक जी खुश त s मंत्री जी खुश अऊर जब मंत्री जी खुश त s संत्री जी अपने आप खुश हो जयिहें रमजानी मियाँ, ई ह s हमरे देश की शिक्षा व्यवस्था .......बोला गजोधर ।
एतना सुनके चौबे जी से रहा नाही गया कहैं कि पनिया तो ऊपर से न s गिरत हैं बचवा ! ऊपर बईमान नीचे शैतान, बिच मा हो गए नौनिहाल परेशान । देश के भविष्य का होई गबा बड़ा गर्क, का पडेगा फर्क नेतवन के ऊपर भ्रष्टाचार से इतना कमा लिए हैं ससुर अपने बेटों को इंग्लैण्ड-अमेरिका भेजकर पढ़ा लेंगे अऊर देश की जनता को ठेंगा देखा देंगे । शिक्षा के साथ-साथ हर विभाग में परसेंटेज बंधा हुआ है बचवा । कपिल सिब्बल को उनके कारिंदे साधे रहें उनके कारींदे को अफसर साधे रहें, अफसरों को परधान जी साधे रहें अऊर परधान जी मास्टर लोग । महीना मा आठ दिन इस्कूल जाव, बस दस परसेंट परधान जी का दिहे रहो , परधान जी क दरबार किये रहो, जब इस्कूल आवै नास्ता-पानी कै इंतज़ाम कई दियो,उंच बैठका दियो, दिन मां जई दाई मिलै सलाम ठोंको अऊर कबो-कबो फटफटिया म तेल भराए दियो बस सब काम चकाचक रहे , का जरूरत पढाबे के ? वेबजह पढाके आंखी के रोशनी काहे गबयिहें मास्टर साहब .....अरे जैसे पूरा देश बहती गंगा में हाथ धोअत हएं मास्टरन के भी धोये द s लोगन......का फरक पडी देश साठ साल अऊर पीछे होई जाई,जैसे चालीस वईसे साठ ....... मगर अऊर काम त s चकाचक रही मास्टर साहेब के ...का रे बटेसर गलत कहत हईं ?
एक दम सही चौबे बाबा ! सुरुक लेयो व्यवस्था का जूस जब तक जनता सोई है जवन दिन जागेगी सूद सहित वापस ले लेगी....कह-कह के राम-राम, कर देगी नेतवन के कानी कौड़ी हराम ....बोला बटेसर ।
हम्म तो कहेंगे बचवा कि जनता को अब शुरुआत कर देनी चाहिए, काहे कि जब तक भारतीय लोकतंत्र की सबसे भ्रष्ट सरकार के ईमानदार प्रधानमंत्री की जारी रहेगी मनमोहनी मुस्कान, मुस्कुराते रहेंगे राजनीति के चवन्नी छाप बईमान......अऊर देश की शिक्षा व्यवस्था होती रहेगी बदनाम । अब इन्हें न गुड खाने दो न गुलगुले........बन जाने दो बुलबुले । इतना कहकर चौबे जी ने चौपाल को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया ।
रवीन्द्र प्रभात
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