आज चौबे जी बहुत खुश हैं, कह रहे हैं कि  "राम भरोसे देखा ....अन्ना ने पिला दिया न पन्ना भ्रष्टाचारियों को ....इसको कहते हैं पहनई सब कोई, झमकई  कोई-कोई !"

सही कहत हौ महाराज " अनशन पर बईठे अन्ना अऊर सूख के काँटा हो गए सिब्बल....नगरी-नगरी द्वारे-द्वारे घूम रहे हैं अन्ना के उलटवांसी से आहत होकर, बड़ा हेकड़ी बग्घार रहे थे पहिला दिन, अब हमरे अन्ना से कोई टेढ़िया के अऊर रेरियाके बतियायेगा तो यही हस्र होगा न s s s ....!" का गलत कहत हईं चौबे जी

एक दम सही, डरता ऊ है न s s ...जिसको कुछ खोने का डर होता है, अब अन्ना के पास का है जो ऊ खो देगा ? जांगर चौक वाले बाबा जी कह रहे थे कि बेचारा मंदिर की एक कोठारिया में पडा रहता है दिन भर , एक ठे बक्सा है , जिसमें कपड़ा-लात्ता अऊर पीढिया  बगैरह  मडई के किनारे पडा रहता है, कमरा में एक ठे झिलंगा खटिया है और कुछ कसकूट के थरिया ....बाबा कहते हैं कि रतिया को सब खटिया के नीचे अंडसा दिया जाता है ....इसको कहते हैं असली संत ! बोला धनेसरा

तो इसका मतलब ई हुआ धनेसर कि अन्ना का जुत्ता भ्रष्टाचार के मुंह पर सटीक पडा है ?

हाँ चौबे बाबा, एमें  कौनो शक-सुबहा नाही....आज क अखबार देखो न s  s  बिक्लिक्सबो बोल दिया है कि सरकार कंठ तक भ्रष्टाचार में डूबी है ....घोर कलिकाल आ गया है बाबा ! जहां जाओ भ्रष्टाचारी डायन पीछा ही नहीं छोड़ती, काल्ह राशन कार्ड बनबाने के लिए हम गए रहे हाकिम के पास तो ऊ बोलै बड़ा बाबू से मिल लेओ काम हो जाएगा. जब हम गए बड़ा बाबू के पास अऊर कहै कि हमारा राशन कार्ड बनबाओ....तो जानते हो का कहा ससुरा ?"

का कहा धनेसर ?

पाहिले चाय पिलाओ ....!  घोर कलिकाल आ गया है बाबा !घोर कलिकाल आ गया है ....!

का करोगे  धनेसर सबका अपना-अपना रोना है ...केवल हम ही परेशान नहीं हैं आज भ्रष्ट भी ईमानदार  से परेशान है .......चनरिका ठेकेदार कह रहा  था कि बड़ा गंदा अधिकारी आ गया गुलटेन भाई कि का बताएं , पाप का घडा भर रहा है पता नहीं जनता इसके खिलाफ आन्दोलन क्यों नहीं करती, रोड टुडबा कर देख रहा है कि सही बनी है कि नहीं तब पेमेंट करा रहा है ! अब इसको का कहोगे ?  बहुत देर से चुप गुलटेनवा ने मुंह खोला

अरे ऊ छोडो, अपने गाँव के कॉलेजवा में सुना है कि का हो रहा है ?

का हो रहा है ?

अपना अकलुआ कह रह था कि " फ्लाईंग स्क्वायर पईसा-वईसा लेके खर्राटे ले रहे थे ५०/- रुपया में नक़ल हो जा रहा था, जब से अन्ना का प्रकरण आया है प्रोफ़ेसर साहब कह रहे हैं कि अब नक़ल में रिश्क बढ़ गया है इसलिए दुई सौ से कम में काम नहीं चलेगा, बोला बोला धनेसरा !

सबकी अपनी-अपनी प्रॉब्लम है ,  भारत की गरीबी को सबसे बड़ी प्रॉब्लम बताने वाला एक डाकू टाईप बन्दा कल बता रहा था कि मैं और मेरे साथियों ने बड़ी मुश्किल से एक बस को लूटा , मगर हाय री हिन्दुस्तान की गरीबी पूरी बस से केवल अड़तीस हजार ही जुट पाए,  अब थानेदार को लूटने के एवज में पचास हजार कौन दे इसलिए मैंने सारे पैसे यात्रियों को लौटा दिए ...क्या करोगे धनेसर, सबकी अपने-अपनी प्रॉब्लम है !वैसे  नेतबन की नींद उचट गयी है जन लोकपाल के नाम पर ...कह रहे हैं ससुर कि संसदीय कार्यों में ई जनता की दखलन्दाजी ठीक नाही, अब ई बताईये कि जनता अगर फाईनल रिपोर्ट लगा दी... तब का होगा ?

वही होगा जो मंजूरे खुदा होगा .....अपनी दाढ़ी सहलाते हुए बोला रमजानी

चौपाल ठहाकों में तब्दील हो गया और चौबे जी ने चौपाल को अगले  ईतवार  तक के लिए स्थगित कर दिया !

रवीन्द्र प्रभात

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